न्याय के लिए
तड़पती यूपी! क्या इस बार मिलेगा इंसाफ ?
अब्दुल मोइद अज़हरी
यू पी विधान सभा
चुनाव में अब हुए दो चरणों के मतदान ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। सारेझूटे
वादों और नाटकीय गठबन्धनों को क़रारी परास्त होने वाली है। दलित मुस्लिम के साथ इस
बार उत्तर प्रदेश की जनता ने अपना मन बना लिया है।पिछली सरकार की नाकामियों को सबक़
सिखाने की ठान लिया है। झूटे वादों और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध भी शशक्त रुझान
देखने को मिले हैं। अब तक के आंकड़ों ने यह तो तय कर दिया है कि पिछली सरकार पूर्ण
बहुमत से दोहराई नहीं जाएगी। इस बार की पूरी चुनावी रणनीतियों में सभी राजनैतिक
छोटी बड़ी पार्टिओं एवं अराजनैतिक छोटे बड़े दलों, समूहों और संगठनों ने सामूहिक तौर
बहुजन समाज पार्टी को अनदेखा किया लेकिन दोनों चरणों के अनुभवों ने यह प्रतीत कर
दिया कि बसपा को अनदेखा करना सब की बड़ी भूल थी।
झूटी अफवाहें,
आपत्ति जनक टिप्पड़ियां, भावुक भाषण, कटाक्ष और सांप्रदायिक माहौल बनाने जैसे काम
आज की राजनैतिक रणनीतियां हैं। अपनीबातों को सही से रखने की बजाए दूसरों के निजी
मामलों की खोज ज्यादा होती है। जितनी ज्यादा बुराइयाँ गिनाई जाएँ उतना ही सफ़ल मिशन
समझा जाता है। किसी को हराने की इतनी ज्यादा जिद हो जाती है कि अपनी जीत भूल जाते
हैं।अंत में वही होता है जिसे रोकने का प्रयास किया गया था। जितने भी गड़े मुर्दे
हैं सब चुनावी दिनों में उखाड़े जाते हैं।विपक्ष के बाद एक ही मुद्दा होता है कि
सत्ताधारी पार्टी ने कितना घोटाला किया है,इस सरकार में कितने दंगे हुए हैं,कितनोंको
बगैर गुनाह किये सजा मिली है, कितने मुजरिमों के हौसले बुलंद हुए हैं इत्यादि।
खुलकर चुनावी
मैदान में आई आल इंडिया उलमा व मशाईख़ बोर्ड ने भी शानदार शुरुआत की है। कईयों के
खेल बिगाड़ दिए हैं। मायावती का समर्थन दे कर सब से पहले लोगों को चौंकाने वाला काम
किया। उस के बाद “अबकी बार बसपा सरकार”का ऐसा अभियान चलाया कि बड़े बड़े राजनैतिक
महारथियों को पीछे छोड़ दिया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उन के तेज़ अभियान के असर ने
इतना काम किया कि सभी को बाक़ी चुनावी मतदान चरणों के लिए सब को चौकन्ना कर दिया है। इस वक़्त आल
इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड की सभी शाखाएं, और लाखों की तादाद में बोर्ड के समर्थक
पूरी तरह से सय्यद मुहम्मद अशरफ किछोछवी के पिछले चलने का मन बना चुके हैं। आखिर
हर बार किसी न किसी को वोट देते ही हैं और इस बार भी देना है तो क्यूँ न इस बार
इन्हीं की अगुवाई में चला जाये जैसे विचारों ने सौदे बाजों की नींदें उड़ा दी हैं।
सय्यद मुहम्मद
अशरफ किछोछ्वी से निजी बात चीत के दौरान उन्हों ने कहा कि ने हमेशा ही लोगों के
हित की बात ही है। उन्हें इंसाफ और उनका हक दिलाने की लड़ाई लड़ी है। मेरा सीधे
सियासत से न कल सम्बन्ध था और न ही कल होगा लेकिन आज राजनीति की बदलती परिभाषा के
परिपेक्ष में यह ज़रूरी हो गया था कि निस्वार्थ सर्व जन हिताय और बहुजन सुखाय की
कर्म रूपी परिभाषा दिखाई जाये उस के साथ तमाम राजनैतिक दलों को इस बात से भी अवगत
कराया जाये कि राजनैतिक स्वार्थ के लिए अपने धर्म और कर्म का सौदा करने वालों की
संख्या भले से बढती जा रही हो लेकिन त्याग, तपस्या और बलिदान वाले लोग भी इस धरती
पर बसते हैं। जो खुद का पेट भरने से पहले पड़ोस में देख लेते हैं कि कोई भूका तो
नहीं या कम से कम इतना तो ज़रूर देखते हैं कि खुद के और परिवार के मुख से उतरने
वाले निवाले किसी का हक छीन कर तो नहीं आये हैं।
दोनों चरणों के
मतदानों से बसपा के साथ आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड और उस के समर्थकों के हौसले
बुलंद हैं। चुनावी दौरा पर पहुंचे आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड यूथ के राष्ट्रीय
अध्यक्ष मौलाना सय्यद आलमगीर अशरफ किछोछ्वी ने अपने एक बयान में कहा कि इस वक़्त यू
पी बड़ी विषम परिस्थितिओं से गुज़र रही है। इन पांच वर्षों
में यू पी की जनता ने ने लूट, बलात्कार, हत्या और साम्प्रदायिक दंगो में अपने आप
को घिरा पाया। कानून के रखवालों ने दिल खोल कर कानून का मजाक उड़ाया। महिलाओं का
शोषण होता रहा और बयान आते रहे कि बच्चों से गलतियाँ हो जाती हैं। हाशिमपुरा के
मजलूमों को 16 वर्षों बाद भी न्याय नहीं मिला। दादरी और मुज़फ्फर नगर ने भी कानून
और न्याय व्यवस्था को कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया। ज़ुल्म और तांडव का नंगा नाच
होता रहा और इंसाफ दूर कोने में कड़ी सिसकती रही। रोटी कपडा और मकान न देकर रक्षा
और सुरक्षा भी छीन ली।
सय्यद आलमगीर
अशरफ ने निजी बात चीत के दौरान कहा कि इस वक़्त उत्तर प्रदेश को सब से ज्यादा ज़रूरत
न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करने की है। किस ने ज्यादा मारा और किस ने कम मारा के
आंकड़ों को गिनाते गिनाते सरकारों की अदला बदली हो जाती है। बस न्याय खुद कटघरे में
खड़ा बेबस और मजबूर आँखों से रिहाई की अपील करता है। यू पी को ऐसे शासन और प्रशासन
की आवश्यकता है जो प्रदेश में कानून बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को सुधर सके.
तत्कालीन और कड़े निर्णय लेने में सक्षम हो। सब के विकास की सिर्फ बात न करे बल्कि
उसे कर के दिखाए। यह यू पी का राजनैतिक इतिहास बताता है कि जब कभी भी गुंडा गर्दी
और राजनैतिक शरण में साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिला और एक शसक्त शासन कल की
आवश्यकता हुई है तो बहुजन समाज की सरकार ने यह ज़िम्मेदारी उठाई है। यह मेरा ही
नहीं बल्कि यू पी की बहुमत जनता और सभी विरोधी दलों का भी मानना है कि बसपा सरकार
आते ही गुंडा गर्दी और लूटमार बंद हो जाती है। कानून और न्याय व्यवस्था मजबूत होती
है। लोगों में न्याय मिलने की उम्मीदें जाग जाती हैं। भय से मुक्ति मिल जाती है।
इसी लिए इस बार
यू पी में बसपा की सरकार आना अति आवश्यक है। गुंडा राज, लूटमार, हत्याएं, बलात्कार
और सांप्रदायिक दंगों से मुक्ति मिलते ही विकास के रस्ते अपने आप खुल जायेंगे। उस
के लिए अपील करने और उस के बाद जताने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और न ही नाकामियों को
छुपाने के लिए नाटक करने की आवश्यकता होगी।
अंत में उन्हों
ने कहा कि बोर्ड न तो पहले कभी व्यक्तिगत हुआ है और ही आज है। सवाल इंसाफ और लोगों
के हक का है। कौन अच्छा और कौन बुरा है यह तय करना हमारा काम नहीं। क्या अच्छा और
क्या बुरा है हम इस बारे में बात करते हैं।



