आखिर बीजेपी मोदी जी से ख़ुश क्यूँ नहीं है?
[अब्दुल मोईद अज़हरी]
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी, जिन के ‘मन की बात’ और ‘वतन की बात’ के प्रोग्रामों में किसी भी तरह के सांप्रदायिक वक्तव्य, भेदभाव की भावना या अलगाववाद के विचार और प्रचार को
निराधार किया जाता है। देश में शांति व्यवस्था बनाये रखने और किसी भी नागरिक के
साथ अनैतिक व्यवहार का बर्ताव न किये जाने की वकालत भी वो करते हैं और उस का आदेश
और निर्देश भी देते हैं।
लेकिन बीजेपी शासित राज्यों कि सरकारें, उन के मंत्री और पुलिस प्रशासन देश के प्रधानमंत्री की किसी भी बात को
गंभीरता से लेने को तैयार नहीं। NRC, CAA और NPR को लेकर देश
भर में शांति प्रदर्शन हुए कहीं से भी पुलिसिया दमन और प्रशासनिक बर्बरता की ख़बरें
इतनी नहीं आयी हैं जितनी कि बीजेपी शासित राज्यों से आ रही हैं। दंगाई भी इस मामले
में माननीय प्रधानमंत्री जी को धोका और चकमा दे गए। जब प्रधानमंत्री ने दंगाइयों
को कपडे से पहचानने की सलाह दी तो कमबख्तों ने वही कपड़े और ड्रेस ख़रीदने शुरू कर
दिए। मानो ऐसा को कि मोदी ने कहा हो कि दंगा करना हो तो इस ड्रेस या इस ख़ास कपडे
को पहन कर करना।
अकेले बंगाल के एक दुकानदार के बयान के मुताबिक उस के यहाँ का वो
ख़ास लिबास जिस की तरफ़ प्रधानमंत्री जी ने इशारा दिया था एक हफ्ते के अन्दर इतना
बिका जितना कि साल भर में नहीं बिका था। हैरानी की बात यह है कि ख़रीदारों में बड़ी
तादाद बीजेपी सदस्यों की थी।
राम रहीम के केस में कोर्ट ने आदेश दिया था कि बाबा के समर्थकों द्वारा देश की
जितनी संपत्ति का नुकसान हुआ है उस का उसे राम रहीम की जायदाद से वसूला जायेगा। अब
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोचा अब कोर्ट कचेहरी की क्या ज़रूरत है
यूपी में हमारी सरकार है इसलिए उन्हों ने कहा की इस का बदला लिया जायेगा। यही नहीं
बदला जिस से चाहेंगे उस से ले लेंगे। राह चले क्सिसी को भी पकड़ लिया। मारा पीटा
जेल किया और नोटिस भी भेज दी।
हद तो यह है कुछ मृतकों के नाम भी नोटिस भेज दी है। इस से पहले भी बीजेपी के
कुछ धुरंधर मुस्लिम महिलाओं को क़ब्र निकाल कर उन के साथ दुष्कर्म करने कि मंशा
जाता चुके हैं इस लिए योगी जी ने भी नोटिस कब्रिस्तान को भेज दिया।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कहते थे कि पुलिस उन की सुनती ही नहीं यहाँ अभी योगी
जी का बदला वाला बयान टीवी पर चला ही था कि यूपी में कारगिल युद्ध हो गया।
आन की आन में यूपी के दसियों जिलों में ऐसी गोलियां चलीं मानों अब देश का
बॉर्डर कश्मीर नहीं यूपी हो। 20 के क़रीब लोगों को मार दिया गया। प्रदर्शन करने
वालों कि ग़लती यह थी वह संविधान बचाने के लिए शांतपूर्ण प्रदर्शन करने निकले थे।
उन्हें लग रहा था कि अभी देश का लोकतंत्र बचा हुआ और राज्य की सरकार हो या प्रशासन
वह जनता की रक्षा के लिए वचन वद्ध है लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम था कि इधर कुछ
वर्षों से परिस्थितियां बदल गयी हैं। केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार है।
एक तो मौसम की ठण्ड ऊपर से ज़मीर और आत्मा की ठंडी, बस इसी लिए थोडा सा देश को
जला दिया। सोशल मीडिया ने मोदी जी का बचाव किया और प्रदर्शनकारियों की भीड़ से
बीजेपी, आरएसएस और एबीवीपी के
कार्यकर्ताओं की पहचान भी कर ली लेकिन पुलिस प्रशासन किसी भी तरह से मानने को
तैयार ही नहीं और न ही राज्य की सरकार इसे गंभीरता से लेने को तैयार है।
यह सारा कुछ बीजेपी शासित राज्यों में ही अक्सर हो रहा है।
कुछ निराधारी लोग तो यह भी कह रहे हैं कि चूँकि मोदी जी के नए नेतृत्व में
बीजेपी के कई पुराने नेता साइड लाइन हो गए तो जो कुछ हो रहा है उन की हाय लगी है।
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Good...💝
ReplyDeleteبالکل درست فرمایا آپ نے
ReplyDeleteصحیح کہہ رہے ہیں۔
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