बीजेपी ने फ़िर किया मोदी का अपमान?
[अब्दुल मोईद अज़हरी]
केंद्र में मोदी 2.0 की सरकार आते ही मोदी लहर में कुछ बिखरता हुआ बदलाव देखने
को मिल रहा है। भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी ने जिस दिन “सब
का साथ”, “सब का विकास” के साथ “सब का विश्वास” जोड़ने की कोशिश की वहीँ से मोदी के
पुराने लठैतों और बकैतों में एक अजीब सा बदलाव देखने को मिला। अभी “सब का विश्वास”
की पालिसी लागू करने की कोई मज़बूत रणनीति बन भी नहीं पाई थी कि शाम को ही एक
बेगुनाह भारतीय की मोब लिंचिंग कर दी जाती है। वहीँ से मोदी नो मोर की एक समकक्ष
विचारधारा का उदय होता है जो मोदी पार्ट 1 में मोदी की सभी उपलब्धियों, प्रशंसनाओं और सम्मान को समाप्त करने में लग गयीं।
सरे नाज़ुक मुद्दे मोदी 2.0 में ही उठाये गए। तीन तलाक़ बिल, धारा 370 और फ़िर
वर्षों पुराना सब से बड़ा भारतीय राजनीति का मुद्दा बाबरी मस्जिद-राम मंदिर भी इसी
काल में उठाया गया और फैसला भी हो गया। एक एक कर के सारे मुद्दे हिट हो रहे थे और
मोदी का वर्चस्व भारतीय हिंदुत्व में बढ़ता जा रहा था। अचानक से बीजेपी की राजनीति
में एक नया मोड़ आता है। अमित शाह के गृह मंत्री बन जाने के बाद भी उन्हें बीजेपी
के अध्यक्ष पद बने रहने दिया जाता है। और फिर सदन के माध्यम से एक ऐसा बिल पारित
किया जाता है जिस किसी भी वर्तमान प्रधान मंत्री की रात की नींदें उड़ सकती हैं।
आखिर कार तंग आ कर रामलीला मैदान में उन्हें कहना पड़ा कि यह सब धोका है। मोदी
जी के सामने तो कभी पार्टी में या सरकारी बैठक में इस पर चर्चा हुई ही नहीं तो फिर
भारत के इस भावी प्रधान मंत्री के विरुद्ध इतना बड़ा षड्यंत्र क्यूँ, कैसे और किस के कहने पर किया जा रहा है। हालाँकि इस से
पहले कुछ राजनैतिक विशेषज्ञों ने इस पर चर्चा भी की थी कि राजनाथ सिंह से गृह
मंत्रालय लेना उचित नहीं है और उस से भी अनुचित काम अमित शाह को गृह मंत्रालय देना
है। लेकिन हांडी में कैसी खिचड़ी पाक रही थी किसी को पता नहीं था।
दिल्ली चुनाव में बीजेपी द्वारा निर्वाचन के उम्मीदवारों में कुछ ऐसे नाम भी
हैं जो कहीं ना कहीं मोदी विरोधी विचारधारा का हिस्सा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर
आम आदमी पार्टी से निष्काषित पूर्व मंत्री कपिल मिश्र को बीजेपी ने टिकट देकर मोदी
का सब से बड़ा अपमान किया है क्यूंकि कि कपिल मिश्रा ने मोदी पर एक बार नहीं तीन
बार गंभीर टिप्पड़ी कर चुके हैं। नवाज़ शरीफ़ के साथ बिरयानी कि दावत, पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI का एजेंट और सब से गंभीर आरोप एक महिला को लेकर था। यह वह
बयान हैं जिन पर काफ़ी चर्चा हुई। यह विवाद कई दिनों तक मीडिया की सुर्ख़ियों में
रहा।
आज बीजेपी ने उसी कपिल मिश्रा को टिकट दे कर कहीं ना कहीं मोदी के नेतृत्व, उन के वर्चस्व और उन के व्यक्तित्व को चुनौती दी है। क्या
इसे मोदी अपमान की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए।
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