Thursday, January 2, 2020

कांग्रेस की समस्या ख़ुद कांग्रेस है और हल भीThe Problem with Congress is the party and solution as well


कांग्रेस की समस्या ख़ुद कांग्रेस है और हल भी

[अब्दुल मोईद अज़हरी]
एक सीट पर गुज़ारा करने वाली भारतीय जनता पार्टी 303 सीटों पर केसरिया विजयी ध्वज फहराएगी किसी ने सोचा नहीं होगा। 414 का कीर्तिमान रचने वाली कांग्रेस पार्टी इतना लाचार व बेबस हो जायेगी इस का अंदाज़ा किसी के सपने में नहीं हुआ होगा। राहुल गाँधी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जीतने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए इतना मुश्किल हो जायेगा कि महीनों इस पार्टी को अध्यक्ष तक नसीब न हो यह द्रश्य कांग्रेस के इतिहास में सब से अँधेरा दिन से याद किया जायेगा।
आज भी कांग्रेस के पास अपने अंतर्युध से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। बीजेपी के पास इतने महान दिमागी नेता नहीं हैं जितने कांग्रेस के पास बादशाही मिज़ाज वाले लीडर हैं। उन का हर नेता प्रधान मंत्री से कम नहीं है। कांग्रेस की राजनैतिक नैया ऐसे नेताओं के सहारे मंजधार में फंसती जा रही है जो एक एक कर के बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
 जिस वक़्त कांग्रेस को एक संजय गाँधी की ज़रूरत थी और राहुल गाँधी ने अपने आप को शहज़ादे के बचपने से निकालने कि कोशिश भी लेकिन वहां इतने बादशाह अकबर बैठे हुए हैं कि सलीम को मुहब्बत तो दूर की बात है इज़हार ए मुहब्बत भी नहीं करने दे सकते।
परिस्थिति इतनी असमंजस की हो गयी कि 2019 के चुनावी घोषणा पत्र के किसी पन्ने या लाइन में कांग्रेस मुसलमान शब्द का प्रयोग नहीं कर पायी जबकि अगर जातिगत विश्लेषण की द्रष्टि से बीते लोकसभा चुनाव का आंकलन किया जाये तो कांग्रेस के पास मुसलमानों से बड़ा सपोर्ट किसी दूसरी बिरादरी का नहीं था। 
बीजेपी के इस बयान को आज भी कांग्रेस सिद्ध करती हुई नज़र आ रही है कि कांग्रेस ने सदैव मुसलमानों को बीजेपी और आरएसएस से डरा कर उन का वोट हासिल करने की कोशिश की है और इस काम के लिए होल सेलर मुस्लिम क्लेर्जी और पेशावर मुस्लिम नेता का इस्तेमाल किया है। 

कांग्रेस के इन दलाल मोलवियों और नेताओं ने हर बार मुसलमानों का कांग्रेस के साथ सौदा किया। हालाँकि उन्हीं बिचौलिए दलालों ने राजीव गाँधी को बहला फुसला कर शाह बानो केस में कांग्रेस की नैया को डुबो भी दिया। क्यूंकि बाबरी मस्जिद पर ताला लगने के बाद उस का ताला खुलवाने में इन्हीं मोलवियों के मनगढ़ंत दलीलें थीं जिस ने कांग्रेस का सूरज तो डुबा ही दिया साथ ही मुसलमानों का भविष्य भी अंधकार के हवाले कर दिया।
आज भी कांग्रेस उन परिस्थितिओं से निकल नहीं पा रही है। अपने इर्द गिर्द के फरेबी जालों से बाहर झाँकने कि कोशिश नहीं कर रही है। 
आज जिस तरह मुसलमान अपने हम वतन भाइयों के साथ सड़कों पर है, गोलियां, लाठियां, और गालियाँ खा रहे हैं, बच्चे, बूढ़े, औरतें इस ठिठुरती ठण्ड में सडकों पर बैठी हैं, नौजवान जेलों में हैं, छात्र मुक़दमों की मार झेल रहे हैं, कांग्रेस पार्टी अभी भी सेफ ज़ोन से बाहर निकलने को तैयार नहीं। सपा और बसपा कि तरह दूर से हाथ बढ़ा रहे हैं।
 और इस आन्दोलन को कैश करने कि कोशिश भी कर रहे हैं। लेकिन खुल कर साथ देने को तैयार नहीं है।



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