क्या यह पीएम मोदी के खिलाफ़ कोई साज़िश है?
[अब्दुल मोईद अज़हरी]
NRC, CAA, और NPR को लेकर जिस
तरह देश में विरोध देखने को मिल रहा उस से एक बात तो साफ़ और स्पष्ट होती जा रही है
कि देश के वर्तमान प्रधानमंत्री से ख़ुद बीजेपी और आरएसएस संगठन के कुछ लोग ख़ुश
नहीं हैं। पीएम मोदी की बढ़ती देश विदेश में ख्याति कुछ लोगों की आँखों में खटक रही
हैं।
साल 2019 में मोदी 2.0 का आरम्भ था, देश को नई दिशा देने की तैयारी थी, लगा शायद देश की हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा इस नए सत्र
में संभव है जिस की संभावनाएं बीते वर्ष में ख़त्म कर दी गयीं थी। पीएम मोदी के
दूसरे सत्र की शुरुआत तीन जुमलों से हुई जिसे बाद में समर्थकों के बीच में ही
मौजूद मोदी विरोधी विचारधारा ने जुमले बाज़ी में बदल दिया।
“सब का साथ”, “सब का विकास” से एक क़दम आगे बढ़ते हुए मोदी सरकार ने “सब का
विश्वास” स्कीम को लांच किया। अभी दिन के उजाले में इस नीति का एलान हुआ ही था कि मोदी
के उगते सूरज को उन के समर्थकों ने सूर्यास्त करते हुए उसी संध्या को मोब लिंचिंग
द्वारा पीएम मोदी के सपनों पर घातक प्रहार किया। जिन लोगों का विश्वास मोदी सरकार
का दूसरा सत्र पाना चाहता था इस मोदी विरोधी दल ने उसे प्रताड़ित करते हुए यह
सन्देश देने कि कोशिश की कि प्रधानमंत्री के भाषण पर विश्वास करने की ज़रूरत नहीं
है।
पीएम मोदी अपने भाषणों में यह कहते रहे कि बीजेपी पार्टी और सरकार में ऐसे
किसी व्यक्ति की जगह नहीं जो राष्ट्र हिट के विरुद्ध हो। उन्हों ने तो अपने एक
महिला सांसद से भी नज़रें फेर लीं थी जिन्हों ने महात्मा गाँधी का अपमान किया लेकिन
मोदी विरोधी दल ने पीएम मोदी पर फिर प्रहार किया और चुनाव में ऐसे ही अधिक चेहरे
उतारे जो अपराधिक मामलों में लिप्त थे।
उधर पीएम मोदी रात दिन मेहनत कर के देश विदेश के दौरे करते रहे इधर पार्टी और
संगठन के अन्दर ही मौजूद मोदी विरोधी दल पीएम मोदी के सपनों पर घात पर घात करते
रहे। इतने हमले किये कि गुजरात के विकास मॉडल पर पूरे देश में चुनाव में उतरने
वाले मोदी को गुजरात के विनाश और दंगे वाले मॉडल में बदल दिया।
आज जब कि पूरा देश क़ानून विशेष को लेकर चिंतित है, विरोध प्रकट कर रहा है, देश जल रहा है, पीएम मोदी बार
बार कह रहे हैं कि देश भर में NRC या CAA लागू करने की उन की कोई मंशा नहीं है लेकिन आंतरिक
विरोधियों ने एक बार फिर पीएम मोदी पर करारा वार करते हुए खुल कर एलान किया कि NRC देश भर में लागू होगा।
पीएम मोदी के “सब का विश्वास” पर फिर हमला किया गया और कहा गया कि CAA के ज़रिये हम पड़ोसी देशों के करोड़ों हिन्दुओं, बोधों, और अन्य
अल्पसंख्यकों को देश की नागरिकता तो देंगे लेकिन NRC के ज़रिये बिना किसी धार्मिक और जातिगत भेदभाव के हर वो व्यक्ति इस क़ानूनी
शिकंजे का शिकार होगा जो भारत की नागरिकता साबित करने में असफल होगा। चूँकि अब तक
प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ की कोई यकीनी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं की गयी लेकिन अभी
तक जो भी दस्तावेज़ मांगने की बात कि गयी है उस से असम की तरह हिन्दू मुस्लिम दोनों
ही बाहर होंगे सिर्फ इस लिए नहीं कि वो देश के नागरिक नहीं है या घुसपैठिये हैं
बल्कि इस्ल लिए भी क्यूंकि उन के पास दस्तावेज़ नहीं हैं।
इस तरह के विवादित बयान देने वाले मोदी विचारधारा के प्रचारक संसद और मंत्रालय
में बहुत जो शायद पीएम मोदी इस उड़ान को रोकना चाहते हैं। शायद इस वक़्त पीएम मोदी
को सच्चे समर्थकों की सख्त ज़रूरत है जो इस तरह के विचारकों और प्रचारकों से इस का
हिसाब मांग सकें।
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