“मुल्ला” के इस्लाम में फंसा मुसलमानों का भविष्य
[अब्दुल मोईद अज़हरी]
अल्लाह और मुल्ला के बीच सही इस्लाम की परख की लड़ाई ने मुसलमानों को कई
हिस्सों में बाँट दिया। यहाँ उन मुल्ला लोगों की बात हो रही है जिन का ज़िक्र
अल्लामा इक़बाल ने अपने कई शेरों में किया है जैसे कि “मुल्ला की अजां और मुजाहिद
की अजां और”। इस के अलावा यहाँ उन मोलवियों, मुफ्तियों, धर्म प्रचारकों और विचारकों की बात हो रही है जिन्हों ने
सियासत के बाज़ार में इमान की सौदे बाज़ी की है, जिन्हों ने वर्तमान राजनीति में क़दम रखने का नेक और पुण्य का काम तो
किया लेकिन अपने धार्मिक सिधान्तों, उसूलों, मूल्यों और नैतिकताओं की मौलिक पवित्रता से राजनीति के
दामन में लगी स्वार्थ, ईर्ष्या, नफ़रत, दमन, अज्ञानता, भिन्नता, भेदभाव, भ्रष्टाचार और
अराजकता की गंदगी को साफ़ कर के देश को मानवता और संविधान वादी बनाने की कोशिश करने
और उस अखंडता, एकता और धर्म निरपेक्षता
को बचाने में अपना सहयोग और योगदान देने की जगह वर्तमान की गन्दी राजनीति को अपने
दामन व दस्तार में समेट कर इन्हों ने हमारे पूर्वजों को अपमानित करने का काम किया
है।
धर्म के थोक विक्रेता शाह बानो केस से लेकर अब तक हर मोड़ पर अपने ही समुदाय को
नाकाम होने के अनेकों मौके देते आये हैं। हालाँकि उस केस के बाद से कांग्रेस की
उलटी गिनती शुरू हो गयी और आज विपक्ष का रोल निभाने के लायक़ भी बची नज़र नहीं आ रही
है। लेकिन कांग्रेस को अभी भी थोक विक्रेता ही चाहिए। हर समुदाय से वो व्होल सेलर
तलाश करते हैं। उन्हीं का पेट भरते हैं और आम आदमी को झूटे वादे और कभी ना पूरी
होने वाली उम्मीद पर छोड़ देते हैं।
हालाँकि बीजेपी ने इस क्रम को तोड़ने की कोशिश की है लेकिन उस के पास मुलिम
राष्ट्रीय मंच के नाम पर आरएसएस संचालित एक ऐसा संगठन है जो खुले तौर पर मुसलमानों
को अपने और अपनी नीतियों के सामने खड़ा कर देते हैं।
आज जब कि पूरा देश NRC, CAA और NPR को लेकर सड़कों
पर है। कोई भी थोक विक्रेता धरना प्रदर्शन के आस पास नज़र नहीं आ रहा है क्यूंकि इस
आन्दोलन ने नागरिकता संशोधन क़ानून के साथ साथ तथाकथित मुस्लिम प्रतिनिधित्व से भी
इनकार कर दिया है। आज देश के कोने कोने में हो रहे प्रदर्शन में इन की उपस्थिति को
लगभग प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस का फ़ायदा या नुक़सान तो बाद में समझ में आएगा
लेकिन एक नए नेतृत्व की शुरुआत हो चुकी है।
हैदराबाद में 4 जून को होने वाले प्रदर्शन में आंध्र प्रदेश और तेंलांगना की
सैकड़ों तंजीमें थीं, लाखों की भीड़ थी, शहर कि गलियां
इंसानी समंदर से भरी पड़ी थीं उस भीड़ में अगर कोई नहीं था तो आल इंडिया मजलिस
इत्तेहादुल मुस्लिमीन और उस के नेता प्रमुख। जिस तरह से देश का सेक्युलर भारतीय
आरएसएस और उस से समर्थित बीजेपी की धर्म पर आधारित राजनीति को नकारता है ठीक उसी
तरह किसी और पार्टी या व्यक्ति की धार्मिक आधार की राजनीति को ना पसंद किया जा रहा
है।
नए नेतृत्व के तलाश और चयन में थोडा वक़्त तो लगेगा लेकिन इस से देश और विशेष
कर मुसलमानों का भविष्य उज्वल होगा, देश से नफरतें
घटेंगी और सद्भाव का फिर से प्रचार प्रसार होगा। इस वक़्त देश भर में इस मोलवीवाद
के विरुद्ध विचारों और विमर्शों की गंभीर लड़ाई इंडियन मुस्लिम अवेयरनेस मूवमेंट लड़
रहा है। जिस के सकारात्मक द्रश्य देखने को मिल रहे हैं। यह संगठन लेखकों, शायरों, पत्रकारों, राजनैतिक विश्लेषकों और विचारकों के साथ साथ नई पीढ़ी के युवाओं
को मिला कर बनाया गया है।
यह लेख उन की गतिविधियों, तर्कों और
विचारों पर आधारित है।
Facebook: https://www.facebook.com/ Abdulmoid07/
@@---Save Water, Tree and Girl Child Save the World---@@

No comments:
Post a Comment