भारत का नया इन्कलाब, बाग़ी आग शाहीन बाग़
[अब्दुल मोईद अज़हरी]
NRC, CAA और NPR के विरुद्ध
धरना प्रदर्शन की बढ़ती सीमा और क्षेत्र अवधि विश्व के नामी, चर्चित, एतिहासिक और
इतिहास के पन्नों पर अमर आंदोलनों में से एक दिल्ली का शाहीन बाग होता जा रहा है। महिला
द्वारा संचालित शांति प्रदर्शन “बागी आग शाहीन बाग” इतने लम्बे दिनों तक चलने वाला
एकलौता और एकमात्र इन्किलाबी आन्दोलन बनता जा रहा है। 2 डिग्री की ठंडी और बारिश भी
इन महिलाओं का हौसला ना तोड़ सकी और न ही 500 रुपये की बिकाऊ औरतें कहने का घटिया इलज़ाम उन
के इरादे नहीं तोड़ सका। इसी लिए देश के किसी भी कोने में महिलाओं द्वारा शुरू किये
गए शाहीन बाग के समर्थन में प्रदर्शन को शाहीन बाग का नाम दिया जाने लगा।
इस प्रदर्शन में हर वर्ग के लोगों ने अपनी प्रतिष्ठा और प्रतिभा का प्रयोग
किया। 2 माह का बच्चा इस ठिठुरती ठण्ड में आने वाले दिनों के लिए साक्ष्य बना तो 4
साल कि बच्चियों ने आज़ादी के नारे लगा कर भारत के भविष्य का एलान कर दिया।
अंग्रेजों को भारत से भागते देखने वाली आँखों ने भी इस आन्दोलन को साहस दिया।
दिल्ली की दादियों ने 80-90 वर्ष की आयु में घर में बैठ कर बेटों और बहुओं की सेवा
पाने की बजाये देश को एक नई क्रांति देने के लिए सड़कों का रुख किया और सारी रात
सड़क पर ही बैठ कर सरकार को उस की ग़लती चेताने का फैसला किया।
यह धरना इस लिए भी असाधारण है क्यूंकि इस शांति पूर्ण धरने को रोकने के लिए
ऐसे ऐसे प्रयास किये गए जिस की उम्मीद कभी भी किसी सभ्य समाज या व्यक्ति से नहीं
जा सकती है। इस धरने में बैठने वाली लड़कियों और औरतों में लॉ, साइंस, इकॉनमी, पोलिटिकल
साइंस, मैथ और UPSC की तैयारी करने वाली देश बेटियां हैं। इन में से कुछ तो
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की लॉयर हैं। अब ऐसे लोगों के बारे में घटिया मानसिकता
के लोगों ने यह कह दिया कि उन्हें CAA का फुल फॉर्म
भी नहीं पता आख़िर कार ऐसा हुआ कि ख़ुद गृह मंत्री इस मामले में फिसल गए।
बात यहीं ख़त्म नहीं हुई। चरित्र और मानसिकता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा
सकता है कि इस प्रदर्शन में शामिल होने वाली औरतों में ओखला के बड़े बड़े बिल्डर्स
और व्यवसाइयों के घर की महिलाएं हैं जो ख़ुद सड़क पर धरना में हैं और अपने बच्चों को
भी साथ में रखती हैं। इन के बारे में यह कहा जाये कि वह 500 से 700 रुपये लेती
हैं। भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने तो घटियापन की सारी हदें पार कर दीं और इन
प्रदर्शनकारियों को “बिकाऊ औरतें शाहीन बाग की” कह डाला। दुर्भाग्यवश देश के
मीडिया चैनल जो पत्रकारिता के माथे पर दलाली का एक दाग है उस ने ट्विटर पर इस नाम
का ट्रेंड चला दिया। एक तरफ देश के प्रधान मंत्री देश की बेटियों को पढ़ाने और
बचाने की बात कर रहे हैं दूसरी तरफ बीजेपी के ही नेता और एक मीडिया चैनल सर ए आम
मोदी की इस स्कीम की बैंड बजा रहे हैं।
शाहीन बाग ने अपने शांति पूर्ण प्रदर्शन के अलावा धैर्य, सद्भाव और सामाजिक सौहार्द का जो उदहारण प्रस्तुत किया है
वह अतुल्य और सराहनीय है। शाहीन बाग रोज़ एक नया रंग लेता हुआ नज़र आ रहा है।
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